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रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
‘‘बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों की उपेक्षा नहीं करना चाहिए। जहां सुई काम आती है वहां तलवार कुछ नहीं कर पाती।’’
athor and editor-Deepak Raj Kukreja “Bharatdeep”,Gwalior
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यस्माद्धि व्यसति श्रेयस्तस्माद्धयसमुच्यते।
व्यसन्योऽयो व्रजति तस्मात्तपरिवर्जयेत्।।
‘‘जिसका नाम व्यसन है उससे सारे कल्याण दूर हो जाते हैं। व्यसन से पुरुष का पतन होता है इस कारण उसे त्याग दे।’’
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भद्र भद्रमिति ब्रूयाद् भ्रदमित्येव वा वदेत्।
शुष्कवैरं विवादं च न कुर्यात्केनचित्साह।।
‘‘सभ्य आदमी को हमेशा दूसरे के काम पर ‘बहुत बढ़िया‘ ‘बढ़िया’ ‘बहुत अच्छा’ या अच्छा जरूर बोलना चाहिये। किसी से व्यर्थ विवाद और शत्रुता नहीं करना चाहिये। न ही रूखा व्यवहार कर दूसरे को हतोत्तासहित करना चाहिये।’’
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रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
‘‘बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों की उपेक्षा नहीं करना चाहिए। जहां सुई काम आती है वहां तलवार कुछ नहीं कर पाती।’’
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