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प्रसंख्यानेऽप्यकुसीदस्य सर्वथा विवेक ख्यातेर्धर्ममेघः समाधिः।।
‘‘जिस योगी का तत्वज्ञान के महत्व में भी विरक्ति हो जाती है उसका विवेक और ज्ञान सर्वथा प्रकाशमान रहता है और उसे ही धर्ममेय समाधि कहा जाता है।
तत क्लेशकर्मनिवृत्तिः
‘‘उस समय उसके अंदर क्लेश और कर्मों का सर्वथा नाश हो जाता है।
तद सर्वावरणमलापेतस्य ज्ञानस्यानन्त्याज्ज्ञेमल्पम्।।
‘उस समय उसके मन से सारे परदे और मल हट चुका होता है। ऐसा ज्ञान अनंत है इस कारण क्लेश पदार्थ कम हो जाते हैं।’
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मित्रस्य चानुरोधेन द्विविधं स्मृतमासनम्।।
हिन्दी में भावार्थ-जब शक्ति क्षीण हो जाने पर या अपनी गलतियों के कारण चुप बैठना तथा मित्रों की बात का सम्मान करते हुए उनसे विवाद न करना यह दो प्रकार के शांत आसन हैं।
तदा त्वेचाल्पिकां पीर्डा तदा सन्धि समाश्चयेत्।।
हिन्दी में भावार्थ-भविष्य में अच्छी संभावना हो तो वर्तमान में विरोधियों और शत्रुओं से भी संधि कर लेना चाहिए।
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तु स्थूलेच्छाः सुमहति बद्धमनसः।
सखे नानयच्छ्रेयो जगति विदुषेऽन्यत्र तपसः।।
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वेदत्रयान्निरदुहभ्दूर्भूवः स्वारितीतिच।।
हिन्दी में भावार्थ-प्रजापित ब्रह्माजी ने वेदों से उनके सार तत्व के रूप में निकले अ, उ तथा म् से ओम शब्द की उत्पति की है। ये तीनों भूः, भुवः तथा स्वः लोकों के वाचक हैं। ‘अ‘ प्रथ्वी, ‘उ‘ भूवः लोेक और ‘म् स्वर्ग लोग का भाव प्रदर्शित करता है।
सन्ध्ययोर्वेदविविद्वप्रो वेदपुण्येन युज्यते।।
हिन्दी में भावार्थ- जो मनुष्य ओंकार मंत्र के साथ गायत्री मंत्र का जाप करता है वह वेदों के अध्ययन का पुण्य प्राप्त करता है।
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ब्रह्मचारिगतं भैक्ष्यं नित्यं मेध्यमिति स्थितिः।
हिन्दी में भावार्थ-शास्त्रों के अनुसार कारीगर का हाथ, बाजार में बेचने के लिये रखी गयी वस्तु तथा ब्रह्मचार को दी गयी भिक्षा सदा ही शुद्ध है।
प्रस्त्रवे च शुचर्वत्सः श्वा मृगग्रहणे शुचिः।।
हिन्दी में भावार्थ-नारियों का मुख, फल गिराने के लिये उपयेाग में लाया गया पक्षी, दुग्ध दोहन के समय बछड़ा तथा शिकार पकड़ने के लिये उपयोग में लाया गया कुत्ता पवित्र है।
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